साल 1981 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म 'नसीब', 'रणभूमि' और 'हवालात' जैसी कई फिल्मों में साथ नजर आ चुके शत्रुघन और ऋषि अच्छे दोस्त थे। दोनों फिल्मों के अलावा पर्सनल लाइफ में भी काफी करीब रहे हैं। अक्सर दोनों की मुलाकात भी होती रही है। गुरुवार सुबह दोस्त के गुजर जाने पर शत्रुघन ने उनकी खूब सराहना करते हुए शोक व्यक्त किया है।दैनिक भास्कर मेंउमेश कुमार को दिए एक इंटरव्यू में शत्रुघन ने अपनी आखिरी मुलाकात और उनके साथ किए यादगार काम पर बात की है।
इंटरव्यू के दौरान शत्रुघन ने कहा, 'संस्मरण सुनाने की स्टेज से तो अब निकल चुका हूं। संस्मरण सुनाने बैठे तो ऋषि कपूर के साथ हंसी मजाक और काम की बातें होती थी। वह बहुत ही उम्दा आदमी थे। इंडस्ट्री में अगर रोमांटिक हीरो की बात करें तो दो ही हीरो थे- राजेश खन्ना और ऋषि कपूर। इनके अलावा और कौन रहा है! ऋषि कपूर तो रोमांटिक हीरो के साथ-साथ बहुत पॉपुलर, रिलैक्स, फ्लैक्सिबल और कॉन्फिडेंट भी थे। इन्होंने दूसरे तरह के भी तमाम रोल किए। फिर तो चाहे मुल्क, हासिल आदि बेहतरीन फिल्में हों। मल्टी डॉमेस्टिक पर्सनालिटी थी। अभिनय की बात करें तो उनके सॉन्ग- डांस, अदायगी उम्दा रही। एक्टर के साथ-साथ डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी रहे। उन्होंने सबके साथ काम किया'।
मौत की खबर से हैंनिराश: 'वर्सेटाइल एक्टर थे उसमें तो दो राय नहीं है। कल इतना उम्दा कलाकार इरफान का जाना और आज हमारी आंखें खुलती है तो पता लगता है कि ऋषि कपूर की आंखें हमेशा के लिए बंद हो गई है। यह क्या मतलब है। एक के बाद यह दुखद घटना सुनकर हम लोग हताश और निराश हो गए हैं। लगता है इससे ज्यादा वक्त और क्या क्रूर हो सकता है'।
हाजिर जवाबी में थे माहिर:'ऋषि कपूर तो हमारे बहुत प्यारे दोस्त रहे हैं। हमने साथ में बहुत सारे काम भी किए। काफी हंसी मजाक किए और काफी हरकतें भी की। अभी बीमारी से लड़ाई लड़कर आए थे तो हम लोग साथ में घंटों बैठे थे। तमाम बातें हुई। उन्हें देखकर ऐसा लगा कि जिंदादिली का दूसरा नाम ऋषि कपूर है। इतना सुंदर स्वभाव और उसे ज्यादा हाजिर जवाबी भी थे'।
ऐसी थी आखिरी मुलाकात:'अभी अमिताभ बच्चन की दिवाली पार्टी में मिलना हम लोग मिस कर गए थे। क्योंकि वह बहुत देर से आए थे। लेकिन उससे पहले हम लोग मैरियट होटल में मिले थे। वहां पर ताजदार अमरोही, राहुल रवैल और हम कुछ करीबी दोस्त थे। हम सब घंटों बैठे थे। वहां पर बातचीत हंसी मजाक का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि उन्हें देखकर लगता ही नहीं था कि वह अभी बीमारी से लड़कर या संघर्ष करके आए हैं। बहुत दिनों बाद अमेरिका से लौटकर आए थे तो एक डेढ़ बजे रात तक बैठे रहे। वह जितने बढ़िया कलाकार थे उससे उम्दा इंसान थे। जैसा बताया कि वह जिंदादिली और हाजिर जवाबी में आगे थे लेकिन उनको कोई लाइटली नहीं ले सकते थे। क्योंकि वह बहुत इंटेलेक्चुअल भी थे'।
हर जगह रखते थे नजर: 'सारी सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर उनकी नजर रहती थी। इसलिए बहुत ट्वीट भी करते थे। अमिताभ बच्चन जैसे एक-दो को छोड़कर बहुत कम लोग हैं, जिनकी सब चीजों पर नजर होती है। पॉलिटिक्स और समाज के बारे में अच्छे से अच्छे स्टार्स को एबीसीडी भी पता नहीं होती है'।
पढ़ने के थे शौकीन:लेकिन उनको हर चीज के बारे में खूब पता होता था कि क्या हो रहा है और हर चीज पर अच्छा खासा डिस्कशन भी करते थे। पढ़ने के बड़े शौकीन थे। नेशनल इंटरनेशनल मैगजीन अखबार को पढ़ते थे। ऋषि कपूर बहुत लकी भी थे और परिपक्व भी थे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3aU7RYe
No comments:
Post a Comment